Arbi Ki Kheti: अरबी की खेती कर देगी मालामाल ! बस जान लो बुआई का सही तरीका

Brief NCR, Arbi Ki Kheti: अरबी, जिसे तारो रूट या कोलोकैसिया के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में मुख्य रूप से मानसून और गर्मी के मौसम के दौरान खेती की जाने वाली एक प्रमुख फसल है। दो मुख्य किस्मों, एडिन और डेसिन के साथ, अरबी अपने अनूठे स्वाद और कई स्वास्थ्य लाभों के कारण विश्व स्तर पर व्यंजनों में अपना स्थान पाती है।
अरबी की किस्में
एडिन: स्थानीय बोलियों में इसे आमतौर पर "अरबी" या "घुइयाँ" कहा जाता है, एडिन अरबी की विशेषता इसका छोटा आकार है।
डेसिन: अपने लंबे आकार के कारण "बंदे" के रूप में जाना जाता है, डेसिन अरबी एडिन की तुलना में बड़ा है और कुछ पाक व्यंजनों में पसंद किया जाता है।
खेती और पोषण
अरबी की खेती अफ़्रीकी देशों में प्रमुखता से की जाती है, जहाँ जड़ों में स्टार्च की मात्रा प्रचुर होती है। इसके अतिरिक्त, अरबी की पत्तियां विटामिन ए, कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन का अच्छा स्रोत हैं, जो इसके पोषण मूल्य को बढ़ाती हैं। अरबी के स्वाद और पोषण संबंधी लाभों के कारण इसकी मांग ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अधिक रहती है।
खाद-उर्वरक
अरबी से बेहतर उत्पादन के लिए खेत में अंतिम जुताई करते समय 100 से 150 क्विंटल सड़ी हुई गोबर खाद मिलाएं. इसके साथ 80 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 50 से 60 किलो पोटाश मिट्टी में मिलाएं. नाइट्रोजन की 80 किलो मात्रा में से आधी मात्रा और पोटाश की आधी मात्रा का ही प्रयोग करें. लेकिन फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा भूमि में बुवाई से पहले मिलाएं.
बुवाई
अरबी की बुवाई जायद में फरवरी और खरीफ में जून में करनी चाहिए. अरबी की बुवाई कतारों में करनी चाहिए. इसकी बुवाई करते समय कतार से कतार के बीच की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें. लेकिन ध्यान रखें कि अरबी के कंदों को 6 से 7 सेंटीमीटर का गड्डा खोदकर ही बोएं.
सिंचाई
अरबी की बुवाई के 4-5 दिन के बाद सिंचाई करनी चाहिए. अंकुरण हो जाने के बाद 8 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें. सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान जरुर रखें कि फसल में जल भराव नहीं हो.
उपज
अरबी की बुवाई के 120 से लेकर 150 दिन के बाद ये पककर तैयार हो जाती है. फसल के पकने की पहचान पत्तियों के पीले होकर नीचे गिरने से आप लगा सकते हैं. अरबी की उपज इसकी किस्मों पर आधारित होती है. लेकिन आमतौर पर अरबी की एक हेक्टेयर खेती से 250 से 300 क्विंटल तक की उपज ली जा सकती है. बस ज़रूरत है उन्नत किस्मों के चुनाव, सही तकनीक से बुवाई और खेती के समय किए जाने वाले ज़रूरी प्रबंधनों को करने की.